हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव पूर्व मैंने मकराना विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं, क्षेत्र की राजनीति के ट्रेंड, राजनैतिक दलों के प्रत्याशी चयन प्रक्रिया, चुनाव विश्लेषण सहित राजनीति के रुझान पर लिखना शुरू किया था। लोगों को मेरे आलेख, मेरी राजनैतिक विश्लेषक की भूमिका, मेरी लिखने की शैली एवं शब्दकोष पसंद आए। चुनाव बाद मैं ब्लोगिंग व व्लोगिंग पर भी आया। मेरे अब तक छ: वीडियो आ चुके हैं। आज मैं अपने बारे में जानकारी आपके साथ साझा कर रहा हूं। मेरा जन्म माघ शुक्ला पंचमी संवत 2023 को मकराना तहसील के सूंथली गांव में हुआ। मेरे पिता का नाम किशनदास वैष्णव है जो सालों तक परबतसर तहसील में लिपिक रहे व रीडर पद से स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ली। हम चार भाइयों में सबसे बङे भंवरलाल हैं जो गांव में खेती व मंदिर पूजा संभालते हैं। उनसे छोटे गोकुल प्रसाद वैष्णव हैं जो नव सृजित डीडवाना - कुचामन जिला कार्यालय के प्रथम लेखाधिकारी है। उनसे छोटे हनुमान लाल वैष्णव स्कूल व्याख्याता हैं जो मकराना उपखण्ड के कई सरकारी कार्यक्रमों में नजर आते हैं। मेरे ये दोनों भाई अपनी सराहनीय सेवाओं के लिए ब्लॉक व ज...
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Showing posts from December, 2023
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ग्यारस, गरीब, गणेश (गणों का मुखिया), गांव, गाय, गायत्री और गीता ये सात ग समारी संस्कृति के मुख्य आधार हैं। सालों की पराधीनता ने इन सातों को छद्म धर्मनिरपेक्षता एवं थोथे विकासवाद के नाम पर आज मुख्य धारा से दूर कर दिया है। त्याग, संयम और सेवा को छोड़कर भोगवादी संस्कृति को बढ़ावा देने से आज अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं, कोर्टों में समलैंगिक विवाह को मान्यता पर बहस हो रही है। अंतर्जातीय विवाह और लिव इन पर तो कानून बन ही गए हैं। लव जिहाद, बढते तलाक और बहुओं की घटती संख्या ने हमारे सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर दिया है। खुशी है कि केंद्र सरकार ने कल तीन नए कानून पारित किए हैं। असल में जो काम आजादी के तुरंत बाद हो जाने थे वो 70 साल बाद हो रहे हैं। आजादी के संघर्ष में कई लोगों का योगदान था। धूर्त अंग्रेजों से निपटने के लिए कई लोगों ने उन्हीं की थ्योरी से जवाब देने का रास्ता निकाला था। उनकी समझ थी कि देश आजाद होने के बाद हम हमारी आवश्यकताओं एवं संस्कृति के अनुरूप संविधान गढ लेंगे लेकिन सत्ता का मोह और विचारधारा की पराश्रित सोच ने स्थिति ऐसी पैदा कर दी है कि संविधान के मूल ढांचे में...
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1985 की बात है, तब शिवचरण माथुर मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उन दिनों चुनाव से ठीक पूर्व भैरुं सिंह जी रोज सरकार से 10 सवाल पूछा करते थे। एक दिन भैरुं सिंह जी ने कहा कि इस सरकार ने जितना भी भ्रष्टाचार किया है, गले में हाथ डाल कर बाहर निकल लाउंगा। भैरुं सिंह जी के इस कथन ने युवाओं को खूब आकर्षित किया। मैं भी उन दिनों कालेज में था। हमने भी तब भाजपा की गाङियों के पीछे झंडे लेकर खूब दौङ लगाई थी। भैरुं सिंह जी की सरकार आ गई थी। मेरे गांव के एक गरीब किसान को अपनी बहन से हक त्याग पंजीयन के ग्यारह सौ रुपए देने पड़े। सिस्टम में कोई बदलाव नहीं हुआ। आम जनता का सबसे ज्यादा काम ग्राम सेवक, पटवारी, तहसील, थाना, अस्पताल और बिजली विभाग में पङता है और यहां पर ही आम जन से रिश्वत ली जाती है। खुशी की बात है कि नई सरकार ने म्यूटेशन को ओन लाइन कर दिया है और वो भी ओटो मोड पर। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार यहीं होता है। हम भजन लाल सरकार के इस निर्णय की सराहना करते हैं। सरकार बदलने के साथ सिस्टम में बदलाव हो तो ही परिवर्तन महसूस होता है। भाजपा में अब पीढ़ी हस्तांतरण हो रहा है। कांग्रेस भी बहुत कुछ खो कर उसी राह पर ब...
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रवीश कुमार को तो आप जानते ही होंगे, कभी नेशनल टीवी पर खूब देखे जाते थे आजकल यू ट्यूब पर भङास निकाल रहे हैं। परसों उनका एक वीडियो देखा जिसमें वो बता रहे थे कि शिवराज सिंह के साथ सही नहीं हूआ। रवीश ही नहीं, जिन्होंने करोङों खर्चा कर चुनाव जीता वो भी समय को नहीं पहचान पाए और महारानी के एक बुलावे पर 45-47 एमएलए महारानी की हाजरी में खड़े हो गए। एक बात तो कहनी पङेगी, बंदे ने सारी अवधारणाएं, परंपराएं तोड़ दी। राजा के बेटे ही राजा बनेंगे, आम आदमी की सोच यही हो गई थी। लेकिन बंदे ने सारे पेरामीटर बदल दिए। राजनीति को घरानों से मुक्त कर दिया। यह एक शुरुआत है। आगे बहुत कुछ देखने को मिल सकता है। सामान्य आदमी जब सत्ता में आता है तो वह असामान्य करता है। गलती अशोक गहलोत से भी हुई। यदि टिकट वितरण में बदलाव हो जाता तो नयापन आता। वही गलती महारानी से हुई। लोग अब भी कयाश लगा रहे हैं कि बगावत होगी। आप को बता दें कि सरकारी कार्मिकों को अब अपडेट होना पङेगा। व्यापारियों को भी जीएसटी में ईमानदार होना पङेगा। कोई शक नहीं कि 29 के चुनाव में वन नेशन वन इलेक्शन हो जाए। आप बदलाव स्वीकार करने के लिए कितने तैयार है...
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रामराम सलाम जय जिनेन्द्र सतश्रीअकाल भाजपा जहां मुख्यमंत्री तय नहीं कर पाई है हमने लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुस् कर दी है। विधानसभा चुनाव में जिले की नो विधानसभा सीटों के कुल मतदाता 2398728 में से 1746238 ने अपने मत का प्रयोग किया। इन मतों में सर्वाधिक कांगेस को 700847 मत मिले हैं। भाजपा को 693835 मत मिले। आरएलपी के पांच उम्मीदवारों ने 164443 मत हासिल किए वहीं निर्दलीय युनूस खां को 70952 तो नोटा सहित अन्यों को 116161 मत मिले। अगर यही रूझान रहा और आरएलपी ने उम्मीदवार उतारा तो कांग्रेस की जीत पक्की। अब सवाल यह कि उम्मीदवार कौन होंगे। इन विधानसभा चुनाओं ने लोकसभा प्रत्यासी के सारे उम्मीदवारों को साफ कर दिया है। कांग्रेस में एकमात्र जिताउ हमें मकरान विधायक जाकिर हुसैन गैसावत नजर आ रहे हैं। नागौर जिला में अल्प संख्यकों की संख्या र्प्याप्त है। फिर एससी कांग्रेस की परम्परगत वोट बैंक है ही। इस बार राजपूत कांग्रेस से नए जुड़े हैं। नागौर, लाडनू, व परबतसर सें कांग्रेस विधायक जीते हैं जो जाट हैं तो कुछ वोट तो वे जाटों के भी कांग्रेस को दिराएंगे ही। ऐसे में जाकिर हुसैन की जीत तय है। भाजपा की दौड़धूप ...
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कल जाकिर हुसैन के साहब के विजई जुलूस के मकराना में पहुंचने पर उनके द्वारा दिया गया भाषण संबल प्रदान करने वाला है। विधायक महोदय ने कहा कि वह आपके हर दुख सुख में साथ रहने का प्रयास करेंगे तथा हक व अधिकार की लड़ाई सड़क व सदन में जनता के हित में करते रहेंगे। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि वे हर वक्त जनता के बीच मौजूद रहेंगे। भाजपा से टिकट के एक और दावेदार है प्रकाश भाकर ने भी आज सुबह मुझे विश्वास दिलाया कि शहर हित में वे हमेशा अपना कंधा से कंधा मिलाकर खड़े रहने के लिए तैयार हैं। उम्मीद करते हैं की इस चुनाव में द्वितीय व तृतीय स्थान रहे प्रत्याशी भी शहर हित में राजनीति से ऊपर उठकर जनता के बीच रहने का प्रयास करेंगे। हमारा एकमात्र उद्देश्य यही है कि सभी अपने हक व अधिकारों की प्राप्ति के लिए कोई अपने को अकेला महसूस नहीं करें इसलिए हम 5 साल तक राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए संबंधित विभागों से सार्थक संवाद बनाए रखेंगे व यथा संभव राहत लेने का प्रयास करेंगे। राजनीति अब इस मोड़ पर आ गई है कि हर वक्त जनता के बीच रहना जरूरी हो गया है। हमारा प्रयास ...
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चुनाव बाद के आकलन और एक्जिट पोल के मुताबिक ही हुआ लेकिन यह मकराना के हित में नहीं हुआ। हालांकि पिछली बार भी विधायक सरकार के विरोधी था पर साहब ने मकराना का विशेष ख्याल रखा। हालांकि पार्टियों के होमवर्क में कहीं कमी नहीं रखी। पिछली बार जीत के अंतर, प्रफोर्मेंस और बढ़ती उम्र को देखते हुए रुपाराम को नहीं दोहराया जाना था, ऐसे में प्रकाश व भींचर में से भींचर को इस लिए चुना गया कि यह एससी के वोट लाएगा लेकिन भींचर अपने रूठे साथियों को मना नहीं सके। इसके उलट जाकिर हुसैन ने हाथ पोला रखा और अल्पसंख्यक में भारी विरोध के बावजूद जीत हासिल की। अब एक बात तय है कि जाटों में दो फाङ स्थाई हो गई है। वहीं जाकिर हुसैन ने भी जीत की स्थिति के बावजूद निलंबन की कार्रवाई कर 4 परिवारों को स्थाई रूप से नाराज़ कर लिया है। सरकार की कङी से कङी नहीं मिलने से शहर की सेहत पर प्रभाव पङेगा। ऐसे में हम सामाजिक कार्यकर्ताओं का दायित्व बढ़ेगा। चिंता नहीं करें, जैसे हैं हाजिर रहेंगे। पूरी पारदर्शिता व शिद्दता से काम करेंगे। आपके बीच रहने का भी प्रयास करेंगे। उम्मीद करते हैं इस चुनाव ने आपको बहुत सिखाया होगा। आप भूलें नही...
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नमस्ते सलाम सतश्रीअकाल जय जिनेन्द्र, मैं 2028 के विधानसभा चुनाव का स्वतंत्र उम्मीदवार देवेश स्वामी फ्रोम गुणावती। पिछले आर्टिकल में किए वादे एक दिन पहले ही पूरे कर रहा हूं। आप जानते हैं कल का दिन मकराना के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है। वादे के अनुरूप हमारा ब्लाग आ गया है। आप ब्लॉगस्पॉट पर अपनी आईडी बनाकर इस पर कमेंट कर सकते हैं। हमारा दूसरा वादा था मिशन 2028 की शुरुआती टीम की घोषणा तो आज से शुरुआत कर रहे हैं। शुरुआती टीम इस प्रकार है:- मार्गदर्शक: सर्वश्री बिक्रम सिंह शेखावत, करणी गैस 2. सर्वेश्वर पुरोहित मकराना 3. हरीश पारीक बोरावड़ 4. महेंद्र विक्रम सिंह मकराना 5. प्रकाश प्रजापत मकराना 6. महेंद्र सिंह बोरावड़ 7. राकेश पारीक बोरावड़ 8. हाजी अब्दुल रहीम भाटी मकराना 9. विनय सोनी बोरावड़ 10. देवाराम सैनी बिदियाद, 11. विक्रम सिंह धोलेराव मकराना 12. हाजी अब्दुल सलाम मकराना 13. हाजी हयात गैसावत मकराना 14. मोहम्मद शहजाद मकराना 15. मतीन रांदङ मकराना 16. अब्दुल रहीम मकराना 17. आशीश गिलङा मकराना 18. जितेन्द्र सेन बोरावड़ 19. लक्ष्मण सिंह मेढ बोरावड़ 20. अनिल भाटी मकराना परामर...