रवीश कुमार को तो आप जानते ही होंगे, कभी नेशनल टीवी पर खूब देखे जाते थे आजकल यू ट्यूब पर भङास निकाल रहे हैं। परसों उनका एक वीडियो देखा जिसमें वो बता रहे थे कि शिवराज सिंह के साथ सही नहीं हूआ।

रवीश ही नहीं, जिन्होंने करोङों खर्चा कर चुनाव जीता वो भी समय को नहीं पहचान पाए और महारानी के एक बुलावे पर 45-47 एमएलए महारानी की हाजरी में खड़े हो गए।

एक बात तो कहनी पङेगी, बंदे ने सारी अवधारणाएं, परंपराएं तोड़ दी। राजा के बेटे ही राजा बनेंगे, आम आदमी की सोच यही हो गई थी। लेकिन बंदे ने सारे पेरामीटर बदल दिए। राजनीति को घरानों से मुक्त कर दिया।

यह एक शुरुआत है। आगे बहुत कुछ देखने को मिल सकता है। सामान्य आदमी जब सत्ता में आता है तो वह असामान्य करता है।

गलती अशोक गहलोत से भी हुई। यदि टिकट वितरण में बदलाव हो जाता तो नयापन आता। वही गलती महारानी से हुई। लोग अब भी कयाश लगा रहे हैं कि बगावत होगी।

आप को बता दें कि सरकारी कार्मिकों को अब अपडेट होना पङेगा। व्यापारियों को भी जीएसटी में ईमानदार होना पङेगा। कोई शक नहीं कि 29 के चुनाव में वन नेशन वन इलेक्शन हो जाए।

आप बदलाव स्वीकार करने के लिए कितने तैयार हैं?

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