1985 की बात है, तब शिवचरण माथुर मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उन दिनों चुनाव से ठीक पूर्व भैरुं सिंह जी रोज सरकार से 10 सवाल पूछा करते थे। एक दिन भैरुं सिंह जी ने कहा कि इस सरकार ने जितना भी भ्रष्टाचार किया है, गले में हाथ डाल कर बाहर निकल लाउंगा। भैरुं सिंह जी के इस कथन ने युवाओं को खूब आकर्षित किया। मैं भी उन दिनों कालेज में था। हमने भी तब भाजपा की गाङियों के पीछे झंडे लेकर खूब दौङ लगाई थी।

भैरुं सिंह जी की सरकार आ गई थी। मेरे गांव के एक गरीब किसान को अपनी बहन से हक त्याग पंजीयन के ग्यारह सौ रुपए देने पड़े। सिस्टम में कोई बदलाव नहीं हुआ।

आम जनता का सबसे ज्यादा काम ग्राम सेवक, पटवारी, तहसील, थाना, अस्पताल और बिजली विभाग में पङता है और यहां पर ही आम जन से रिश्वत ली जाती है। खुशी की बात है कि नई सरकार ने म्यूटेशन को ओन लाइन कर दिया है और वो भी ओटो मोड पर। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार यहीं होता है। हम भजन लाल सरकार के इस निर्णय की सराहना करते हैं।

सरकार बदलने के साथ सिस्टम में बदलाव हो तो ही परिवर्तन महसूस होता है। भाजपा में अब पीढ़ी हस्तांतरण हो रहा है। कांग्रेस भी बहुत कुछ खो कर उसी राह पर बढ़ रही है। पर ये कांग्रेसी नहीं सुधरेंगे। सत्ता परिवर्तन के बाद भी गैर सरकारी पदों पर बैठे थे। अच्छा होता तीन तारीख को ही त्याग पत्र दे देते। कल कार्मिक विभाग ने सब को डिसमिस कर दिया। बङे बे आबरू हो कर तेरे कूचे से निकले!

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