हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव पूर्व मैंने मकराना विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं, क्षेत्र की राजनीति के ट्रेंड, राजनैतिक दलों के प्रत्याशी चयन प्रक्रिया, चुनाव विश्लेषण सहित राजनीति के रुझान पर लिखना शुरू किया था। लोगों को मेरे आलेख, मेरी राजनैतिक विश्लेषक की भूमिका, मेरी लिखने की शैली एवं शब्दकोष पसंद आए। 


चुनाव बाद मैं ब्लोगिंग व व्लोगिंग पर भी आया। मेरे अब तक छ: वीडियो आ चुके हैं। आज मैं अपने बारे में जानकारी आपके साथ साझा कर रहा हूं। 


मेरा जन्म माघ शुक्ला पंचमी संवत 2023 को मकराना तहसील के सूंथली गांव में हुआ। मेरे पिता का नाम किशनदास वैष्णव है जो सालों तक परबतसर तहसील में लिपिक रहे व रीडर पद से स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ली। हम चार भाइयों में सबसे बङे भंवरलाल हैं जो गांव में खेती व मंदिर पूजा संभालते हैं। उनसे छोटे गोकुल प्रसाद वैष्णव हैं जो नव सृजित डीडवाना - कुचामन जिला कार्यालय के प्रथम लेखाधिकारी है। उनसे छोटे हनुमान लाल वैष्णव स्कूल व्याख्याता हैं जो मकराना उपखण्ड के कई सरकारी कार्यक्रमों में नजर आते हैं। मेरे ये दोनों भाई अपनी सराहनीय सेवाओं के लिए ब्लॉक व जिला स्तर पर कई बार सम्मानित हो चुके हैं। 


मुझे कागजों में जन्म तिथि 02 मई 1966 मिली। प्राइमरी शिक्षा गांव में, मिडिल आसरवा से व मेट्रिक मकराना से की। बांगङ कोलेज डीडवाना से 1985 में मैंने वाणिज्य विषय से प्रथम श्रेणी से स्नातक किया। किशनगढ़ कोलेज व जीसीए का भी मैं विद्यार्थी रहा लेकिन यहां से मैं बीच में छोड़कर आ गया। बाद में करीब 2006-07 में मैंने बीजेएमसी किया। 


समाज कार्य की शुरुआत मैंने सर्वोदय क्षेत्र से की। 1994 में देश गांधीजी का 125 वां जन्म वर्ष मना रहा था। प्रदेश सर्वोदय मंडल ने उस वर्ष एक साथ चार पदयात्राएं आयोजित की जिसमें से एक में रानीगांव से मकराना तक में मुझे शामिल होने का सौभाग्य मिला।


1995 में मेरे सामाजिक कार्यों के गुरु श्रद्धेय बद्रीप्रसाद स्वामी ने मकराना से चांडी तक पदयात्रा की, जिसका मैं संयोजक था। इस पदयात्रा में हमने जाखली गांव में एक युवा संगठन का गठन किया। इस संगठन ने जाखली में हमारा एक युवाओं का शिविर करवाया, गांव की स्कूल को जन सहभागिता के तहत क्रमोन्नत करवाया, जन सहभागिता से ही स्कूल के चार दिवारी निकलवाई। संगठन ने काफी दिनों तक लाइब्रेरी व एक होमियोपैथी क्लिनिक चलाया।


इस अभियान में हमें प्रवास आदि के लिए एक एनजीओ मदद करता था। रेतीले रास्तों वाले दूर दराज के गांव ढाणियों में हम लोग बरसाती जल संरक्षण के परपंरागत तकनीक पर काम करते थे। इस थीम पर मैंने विजयपुरा, सूंथली, उच्छेरिया, रामपुरा में 5 ढाणियों में पेयजल टांके बनवाए व सूंथली और रामपुरा भरनाई में दो नाड़ियों को पक्का करवाया।


दो साल में मेरे साथियों से मतभेद हो गए और मैं फिर एकांत वास में आ गया। इससे पूर्व 89 में मैंने जीसीए छोङा तो पांच साल तक घर बैठा रहा। 


2000 में जेपी जन्म शताब्दी वर्ष मनाया जाना प्रस्तावित था। प्रदेश सर्वोदय मंडल ने मुझे आंदोलन में फिर से जोङा। पहले मुझे कैस्ट्रॉल कंपनी की मदद से 20 पेयजल टांके बनवाने का टारगेट मिला। रामसिया, कल्याणपुरा, बिणजारी और गोठङी में ये टांके बनवाए। रामसिया, जाखली और मकराना में आकाशवाणी कलाकार द्वारा तीन सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाए। 


2001 में मुझे सर्वोदय की यूथ विंग राष्ट्रीय युवा संगठन का प्रदेश संयोजक मनोनीत किया गया। इस नाते मैं प्रदेश सर्वोदय मंडल का आमंत्रित सदस्य भी बना। जे पी जन्म शताब्दी वर्ष पर समाज कार्य के लिए मैंने अपना जीवन दान कर दिया। अब मेरी गहन ट्रैनिंग शुरू हुई। 10 दिन मुंबई में, तीन तीन दिन के तीन वर्कशॉप राजघाट दिल्ली, एक एक सप्ताह के दो शिविर सेवा ग्राम के किए। तीन दिन अयोध्या में भी एक कार्यक्रम में रहे। जयपुर, जोधपुर, गांगवा, बीकानेर, जैसलमेर के कई ग्रामीण क्षेत्रों में हमने युवाओं के शिविर सहित विविध कार्यक्रम किए। बढ़ती जनसंख्या पर छपे मेरे एक लेख ने मुझे युवा गांधीवादी विचारक बना दिया।


2003 से मैंने बिना किसी एनजीओ की मदद के कार्य करने का निश्चय किया। साम्प्रदायिक सद्भाव को लेकर मैंने मकराना में कार्य शुरू किया। 30 घरों के एक माइनोरिटी मौहल्ले में मैंने बाल शिक्षण गतिविधी का संचालन किया। शहर के ख्यातनाम शायर खुश्तर मकरानवी के जन्मदिन पर सद्भावना दिवस मनाना शुरू किया। चार आयोजनों में मैंने राजस्थान अकादमी, उर्दू अकादमी के तत्कालीन अध्यक्ष व उर्दू के कई विद्वानों व शायरों को बुलाया। सद्भावना मंच से हमने कई बार गांधी जयंती कार्यक्रम भी आयोजित किए।


बीजेएमसी करने के बाद मैं राजस्थान पत्रिका व नवज्योति से जुङा। 2007 में कांग्रेस ज्वाइन करने के साथ मैंने पत्रकारिता छोड़ दी। राजनीति में मेरी शुरुआत ही जिला कार्यकारिणी सदस्य से हुई। मैं परबतसर विधानसभा क्षेत्र का डीसीसी से प्रभारी था। एक कांग्रेस नेता की 21 दिन की मकराना विधानसभा क्षेत्र की पदयात्रा का मैं सुत्रधार बना। पत्रकार संगठनों के साथ अब मैं दलित साहित्य अकादमी से भी जुङ चुका था और चार कार्यक्रम हमने अंबेडकर जयंती के किए। एक में तो जिला कलक्टर मुख्य अतिथि थे।


2008 में बाबा रामदेव पर रामलीला मैदान नई दिल्ली में हुई 

पुलिस कार्रवाई के विरोध में मैंने नगर पालिका के गेट पर धरना दिया और उस दिन कांग्रेस छोड़ दी। इसके बाद इसी स्थान से मैंने दो और आंदोलन को मदद दी। सीआईडी ने मुझे अपनी रडार पर लिया।


2007 के बाद मैं अपने समाज की राजनीति में भी आया। प्रदेश के आठ लाख पुजारी परिवारों की पीङा को लेकर बने पुजारी महासभा से मैं जुङा और तहसील, जिला व राजधानी स्तर पर हजारों आयोजनों में मददगार रहा। 2017 में शिप्रा पथ जयपुर में हुए पुजारियों के प्रदर्शन का मैं सुत्रधार था। 


इस आंदोलन के बाद मैंने फिर एकांत वास ले लिया। 2023 के चुनावों में प्रत्याशी चयन में पार्टियों को आई परेशानियां, प्रत्याशियों का चुनाव अभियान, मतदाताओं के सामने सही विकल्प की कमी, राजनीति का ट्रेंड देखते हुए 03 दिसंबर 2023 को ही मैंने फैसला कर लिया कि मुझे 2028 के विधानसभा चुनाव में जनता का प्रत्याशी बनना चाहिए। 


तो मेरे सामाजिक जीवन की पूरी किताब आपके सामने रखी है। मैं समय समय पर आपके बीच भी उपस्थित रहूंगा। सोशल मीडिया पर तो इंस्टाग्राम को छोड़कर हर फार्मेट पर हाजिर हूं।

जय श्री कृष्णा, जय जिनेन्द्र, सतश्रीअकाल, सलाम।।

मो. 9252907201

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