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Showing posts from February, 2024

कटारिया नागौर से उम्मीदवार हो सकते हैं

 तो शुरू हो गई लोकसभा की बिसात! शुरुआत भी बङे मजेदार ढंग से हुई। सभी मोर्चों पर एक साथ। पहले राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह हुआ, फिर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक और फिर क्लकि मन्दिर का शिलान्यास। अपने राजस्थान में भी ओमाकार मन्दिर का उद्घाटन और आज से शाह जी प्रदेश के दौरे पर। बीकानेर, उदयपुर और अंत में जयपुर। तीनों ही जगह सब कुछ फिक्स। बागङ में कल ही किला फतह हुआ। मालवीय जी लम्बी पारी खेलने के लिए आए हैं। कतार में तो कई खङे हैं पर नजर आज मारवाड़ पर। मिर्धा परिवार के समधी लाल चंद कटारिया को हो सकता है नागौर लांच कर दिया जाए। कटारिया यूपीए 2 में मंत्री रह चुके। किसान नेता की भूमिका में रहे कटारिया उपराष्ट्रपति धनकङ की पसंद हैं। नागौर के बहाने बीकानेर, जोधपुर, सीकर, झुंझुनूं और जयपुर तक को साधने की कवायद है यह। पहले थोक के भाव में कांग्रेस से पाला पलटाने की रणनीति थी अब जरुरत मुताबिक चेहरे खींचे जाएंगे। रणनीति सारी अधिकतम जीत को लेकर है।  दूसरे मौर्चे पर राहुल गांधी है। अखिलेश ने तेजस्वी की तरह ड्राइवर बनने से मना कर दिया है तो अखिलेश के खासमखास स्वामी प्रसाद मौर्य ने नई दुकान सजा ल...

ममता की भी विदाई तय

 एक महिला शासित प्रदेश में महिलाएं आंदोलन पर है। आंदोलन भी उस शख्स के खिलाफ जिसें पकङने गई ईडी भी पिटकर लौटी थी। एक चैनल को दिए इंटरव्यू में आंदोलित महिलाएं बता रही है कि किस तरह टीएमसी के गुंडे उनका शोषण करते हैं। वोट बैंक की राजनीति करने वाली ममता को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके राज में ऐसा हो रहा है। असल में ममता को राजनीति की बिल्कुल भी समझ नहीं है। यह बंगाल में एक ऐसा गिरोह है जिसका मकसद सरकारी जमीन हङपना है। इनमें समझ होती तो टाटा नैनो का सिंगूर प्लांट क्यों गुजरात जाने देती। कभी बंगाल अपनी संस्कृति व कला के लिए जाना जाता था आज रोहिंग्या व बांग्लादेशी भिखारियों के लिए जाना जाता है। गत विधानसभा चुनाव बाद हुई भारी लूटपाट, आगजनी व नृशंस हत्याओं के बाद टीएमसी की गुंडागर्दी ईडी मामले में हम देख ही चुके हैं। और अब ये महिलाएं। लगता है अब टीएमसी की विदाई तय है। लोकसभा चुनाव बाद कभी भी बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। आप मेरे ब्लॉग मेरे फेसबुक पेज Devesh Swami Official for Marble Handicraft and Organic Farming पर भी देख सकते हैं।

प्रथम पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि

 बङे गौर से सुन रहा था जमाना, तुम ही सो गए कहानी कहते कहते।। 11 फरवरी 2023 की मनहूस रात में तथाकथित विकास के लिए सङक पर बिना संकेतक खङे किए एक आरसीसी पिल्लर से अस्पताल जा रही गिलङा जी की कार टकराई और सदमे से गिलङा जी की जान चली गई। प्रशासन की ठीक नाक के नीचे वसुंधरा नगर गेट के सामने घटी घटना ने मकराना के एक कर्मठ श्रमजीवी पत्रकार का व उसके परिवार का भविष्य चौपट कर दिया। एक किताब निकाल कर परिवार चलाने वाले गिलङा जी के पास इतना पैसा भी नहीं था कि गाङी की इंश्योरेंस रिनेव्ल करा लें, खुद का बीमा तो होता ही कैसे? दो बच्चों एवं दो बच्चियों में सिर्फ एक बच्ची ही पराई कर पाए थे।  जिस सिस्टम की लापरवाही ने गिलङा जी को शहीद किया, वह सिस्टम हमें भी कभी दंश दे सकता है। यह मौनी बाबा बने रहने की आदत कभी हमें भी भारी पड़ सकती है। गिलङा जी की बारात डीडवाना तहसील के आजङोली गांव में गई थी। तब सङके नहीं थी। बारात में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी की एम्बेसडर कार भी थी। बङी मुश्किल से कार आजङोली पहुंची और वही से दिल्ली लौट गई। वाजपेई जी उन दिनों विपक्ष के नेता थे और गिलङा जी चौधर...

पहली बार नजर आ रहा बदलाव

 1985 से सरकारें देख रहा हूं। तब शिवचरण माथुर मुख्यमंत्री थे। भैरुं सिंह जी रोज भ्रष्टाचार पर दस सवाल पूछते थे। उन्होंने एक महीने सवाल पूछे और कहा कि उनकी सरकार आई तो गले में हाथ डाल कर सारा खाया बाहर निकाल दूंगा। भैरुं सिंह जी की सरकार बनी। मेरे गांव के एक गरीब किसान को अपनी बहन से हक त्याग पंजीयन करवाना था, बेचारे के पास उस समय पांच सो रुपए नहीं थे। मेरे तभी समझ में आ गया कि जब तक सिस्टम नहीं बदलेगा सरकारें बदलने से कोई फायदा नहीं। राजस्थान में हर पांच साल बाद सरकारें बदलती रही लेकिन रिवाज नहीं बदले। 2008 के बाद तो शहर को सोने का बना दें, उतना पैसा आया पर सब भ्रष्टाचार के भेंट! कल अस्पताल गया तो साफ सफाई चाक चौबंद। केबिनों में डाक्टर। दवा काउंटर पर पूरी दवाइयां। मुझे यह सरकार का बदलाव अच्छा लगा। आज घाटी से आरओबी तक सङक चकाचक थी। जिस सङक को दो बार दीपावली पर भी नहीं बुहारा गया आज बे-मौसम सफाई देखकर अच्छा लगा। अंदर पंचायत समिति मैदान से नगरपरिषद अपना कंडम हटा रही है। डोटासरा जी, यह वही मशीनरी है जो आपने छोङी थी। इस पर तो लगाम कसने वाला होना चाहिए। यदि यह पर्ची की सरकार है तो यह पर्...

नई सरकार का बदलाव

कल शहर के आरओबी पर सफाई चकाचक मिली। इससे पूर्व 21 जनवरी को भी यहां से मिट्टी हटाई गई थी। दरअसल आरओबी की दोनों पटरियों पर जमा मिट्टी वाहन चालक को दूर से ही दिखती है और खटकती है । चौपहिया वाहन जब गुजरता है तो यह मिट्टी उड़ती है और दोपहिया वाहन चालकों के चेहरों से चिपट जाती है। सफाई नहीं होने की वजह से यह समस्या पिछले कई सालों से बनी हुई थी। गत वर्ष दीपावली पर मैंने आवाज भी उठाई लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। सरकार बदलने के बाद आम जीवन में आए बदलाव का यह पहला उदाहरण है। बदलाव दिखना ही चाहिए नहीं तो सरकार के बदलाव का क्या असर रहेगा। आप लोग देख रहे हैं कि पिछले दो-तीन दिनों से अधिकारी स्वयं साफ सफाई व अतिक्रमण देख रहे हैं। इसके साथ सरकारी कार्यालय में कर्मचारियों की उपस्थिति मॉनिटर कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव तक मुझे लगता है यह सिलसिला चलेगा। अतिक्रमण पर भी अधिकारियों को कुछ करना चाहिए, रास्ते सकङे होते जा रहे हैं, लोगों की भूख बढ़ रही है, इनका बस चले तो पूरी सड़क कब्जा लें ।  पिछली सरकार  आटा राशन,  फ्री की रेवड़िया बांटकर अपनी लोकप्रियता बढ़ा रही थी ऐसे में अफसर भी किसी को कुछ कह नह...