पहली बार नजर आ रहा बदलाव

 1985 से सरकारें देख रहा हूं। तब शिवचरण माथुर मुख्यमंत्री थे। भैरुं सिंह जी रोज भ्रष्टाचार पर दस सवाल पूछते थे। उन्होंने एक महीने सवाल पूछे और कहा कि उनकी सरकार आई तो गले में हाथ डाल कर सारा खाया बाहर निकाल दूंगा। भैरुं सिंह जी की सरकार बनी। मेरे गांव के एक गरीब किसान को अपनी बहन से हक त्याग पंजीयन करवाना था, बेचारे के पास उस समय पांच सो रुपए नहीं थे। मेरे तभी समझ में आ गया कि जब तक सिस्टम नहीं बदलेगा सरकारें बदलने से कोई फायदा नहीं। राजस्थान में हर पांच साल बाद सरकारें बदलती रही लेकिन रिवाज नहीं बदले। 2008 के बाद तो शहर को सोने का बना दें, उतना पैसा आया पर सब भ्रष्टाचार के भेंट!


कल अस्पताल गया तो साफ सफाई चाक चौबंद। केबिनों में डाक्टर। दवा काउंटर पर पूरी दवाइयां। मुझे यह सरकार का बदलाव अच्छा लगा। आज घाटी से आरओबी तक सङक चकाचक थी। जिस सङक को दो बार दीपावली पर भी नहीं बुहारा गया आज बे-मौसम सफाई देखकर अच्छा लगा। अंदर पंचायत समिति मैदान से नगरपरिषद अपना कंडम हटा रही है।


डोटासरा जी, यह वही मशीनरी है जो आपने छोङी थी। इस पर तो लगाम कसने वाला होना चाहिए। यदि यह पर्ची की सरकार है तो यह पर्ची वाली सरकार हमें पसंद है। हमें तो जिन्दगी में पहली बार बदलाव महसूस हुआ है।

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