कटारिया नागौर से उम्मीदवार हो सकते हैं

 तो शुरू हो गई लोकसभा की बिसात! शुरुआत भी बङे मजेदार ढंग से हुई। सभी मोर्चों पर एक साथ। पहले राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह हुआ, फिर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक और फिर क्लकि मन्दिर का शिलान्यास। अपने राजस्थान में भी ओमाकार मन्दिर का उद्घाटन और आज से शाह जी प्रदेश के दौरे पर। बीकानेर, उदयपुर और अंत में जयपुर। तीनों ही जगह सब कुछ फिक्स। बागङ में कल ही किला फतह हुआ। मालवीय जी लम्बी पारी खेलने के लिए आए हैं। कतार में तो कई खङे हैं पर नजर आज मारवाड़ पर। मिर्धा परिवार के समधी लाल चंद कटारिया को हो सकता है नागौर लांच कर दिया जाए। कटारिया यूपीए 2 में मंत्री रह चुके। किसान नेता की भूमिका में रहे कटारिया उपराष्ट्रपति धनकङ की पसंद हैं। नागौर के बहाने बीकानेर, जोधपुर, सीकर, झुंझुनूं और जयपुर तक को साधने की कवायद है यह। पहले थोक के भाव में कांग्रेस से पाला पलटाने की रणनीति थी अब जरुरत मुताबिक चेहरे खींचे जाएंगे। रणनीति सारी अधिकतम जीत को लेकर है। 


दूसरे मौर्चे पर राहुल गांधी है। अखिलेश ने तेजस्वी की तरह ड्राइवर बनने से मना कर दिया है तो अखिलेश के खासमखास स्वामी प्रसाद मौर्य ने नई दुकान सजा ली है। यूपी के बाद यात्रा एमपी में प्रवेश करेगी जहां कमलनाथ एपिसोड चल ही रहा है। 


इन सबके बीच एक मोर्चा दिल्ली बोर्डर पर किसानों ने संभाल रखा है। दलहन और कुछ नगदी फसलों पर एमएसपी का दांव फेंक कर सम्मान जनक समझौते की पहल केन्द्र ने की थी। किसान अब फिर एक्सपोज हो गए हैं। अब चुनाव अधिघोषणा अगले माह कभी भी हो सकती है और एक टकराव फिर से हमें किसानों के साथ हमें देखने को मिल सकता है। आंदोलन का राजनैतिक फायदा किसको कितना होगा, देखने वाली बात होगी।


तो बिसात बिछ रही है। नजदीकि से सत्ता के इस खेल को देखते रहिए और खुद गेम चेंजर की भूमिका में आने का प्रयास करते रहिएगा। 


आप मेरे ब्लॉग मेरी ब्लॉग साइट मकराना टूडे पर भी देख सकते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

उप चुनाव परिणाम

टीटी की हार के मायने: देवेश स्वामी

नव कैलेण्डर वर्ष की शुभकामनाएं