प्रथम पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि
बङे गौर से सुन रहा था जमाना,
तुम ही सो गए कहानी कहते कहते।।
11 फरवरी 2023 की मनहूस रात में तथाकथित विकास के लिए सङक पर बिना संकेतक खङे किए एक आरसीसी पिल्लर से अस्पताल जा रही गिलङा जी की कार टकराई और सदमे से गिलङा जी की जान चली गई।
प्रशासन की ठीक नाक के नीचे वसुंधरा नगर गेट के सामने घटी घटना ने मकराना के एक कर्मठ श्रमजीवी पत्रकार का व उसके परिवार का भविष्य चौपट कर दिया। एक किताब निकाल कर परिवार चलाने वाले गिलङा जी के पास इतना पैसा भी नहीं था कि गाङी की इंश्योरेंस रिनेव्ल करा लें, खुद का बीमा तो होता ही कैसे? दो बच्चों एवं दो बच्चियों में सिर्फ एक बच्ची ही पराई कर पाए थे।
जिस सिस्टम की लापरवाही ने गिलङा जी को शहीद किया, वह सिस्टम हमें भी कभी दंश दे सकता है। यह मौनी बाबा बने रहने की आदत कभी हमें भी भारी पड़ सकती है।
गिलङा जी की बारात डीडवाना तहसील के आजङोली गांव में गई थी। तब सङके नहीं थी। बारात में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी की एम्बेसडर कार भी थी। बङी मुश्किल से कार आजङोली पहुंची और वही से दिल्ली लौट गई। वाजपेई जी उन दिनों विपक्ष के नेता थे और गिलङा जी चौधरी देवीलाल के एक साप्ताहिक को देखा करते थे। एक युवा पत्रकार की शादी में पत्रकार की हैश्यित से आशीर्वाद देने पधारे थे वाजपेई जी। यह जलवा था गिलङा जी का। देश के शीर्षस्थ औद्योगिक घराने की राज श्री बिङला जी, बीकानेर वाले सेठ साहब संदीप जी, ओम बिरला जी, जस्टिस लाहोटी जी, वीडियोकॉन वाले धूत जी सहित देश की कई नामचीन हस्तियों से गिलङा जी की सीधी मुलाकात होती थी। दादी सती के अनन्य भक्त को बिना सूचना के बिना प्रोटोकॉल का पालन किए सीधे पर्सनल नंबर पर बात करना उनकी आदत में शुमार था।
प्रथम पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि। यह वादा है गिलङा जी कि सोई पड़ी जनता को आवाज देना सिखा दूंगा, फिर कोई बच्चा अनाथ न हो उस सिस्टम को हटा कर दिखा दूंगा।
जय श्री कृष्णा।
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