राइजिंग राजस्थान -ग्लोबल इंवेस्टमेंट सम्मिट

 किसी भी पार्टी में तीन तरह के कार्यकर्ता होते हैं। एक वे जो यह तय करते हैं कि इस बार कौन खड़ा होगा, दूसरे वे जो इन लीडर्स के साथ रहते हैं और तीसरे वे जो पार्टी को जरूरत पड़ने पर अवैतनिक अपनी हाजिरी देते हैं।


एक साल पूर्व जब नैतृत्व ने माननीय भजन लाल को मुख्यमंत्री घोषित किया तो यह तीसरा वर्ग पता नहीं क्यूं असहज था। ग्रास रूट का कार्यकर्ता जो ग्रामीण क्षैत्र से है फिर भी यह तीसरी जमात उस वक्त 'भजन करो- भजन करो' बोल कर झेंपते थे। नेताओं के खास अर्दली रहे लोग तक कह रहे थे कि यह ज्यादा दिन नहीं चलेगा।


आप क्या समझते हैं कि कल से जो 'राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट' हो रही है उसके पीछे पहली बार विधायक बने किसी व्यक्ति का दिमाग है? पूरा संगठन साथ है तभी तो माननीय नरेन्द्र मोदी जी उद्घाटन समारोह में आ रहे हैं। नो से ग्यारह यह बहुत बड़ा आयोजन जिसमें तीस से ज्यादा तो बङे उद्योगों के मालिक और सीईओ, बाईस से अधिक देशों के प्रतिनिधि मंडल और पांच हजार से अधिक व्यापारिक संगठनों के लोग होंगे: उसके बाद बारह से प्रथम वर्षगांठ! फिर मोदी आएंगे ईआरसीपी के उद्घाटन में! 


आप ने अब तक किसी सरकार की प्रथम वर्षगांठ की ऐसी भव्यता देखी है अब तक? जब संगठन साथ होता है तो सामान्य कार्यकर्ता भी असामान्य काम कर देता है। फिर यहां तो दो दो संगठन है - बीजेपी और आरएसएस! 


राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र; इन तीनों में मैं समझता हूं मोडल राजस्थान को बनाया जा रहा है। हमारा मुख्यमंत्री कर्मठ कार्यकर्ता है और यह साबित कर दिखा देगा कि संगठन क्या होता है।


इस ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए जो दिन रात मेहनत हो रही है वह कोई बूढ़ा या इलीट क्यास का बंदा कर सकता था क्या? बंदे ने दस दिन पूर्व से ही प्रत्येक दिन एक संकल्प लेना शुरू कर दिया - नव संकल्प। नव नीति!!


संकल्प भी ऐसे जिससे हमारी सुदृढ़ सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान मिले, भविष्य में हमारा क्या विजन होगा उसका संकेत मिले। पहला संकल्प ही यह था कि सारा कार्यक्रम सौर ऊर्जा से होगा। विजन साफ कि सौलर सेक्टर का अब जमाना है। 


परंपरागत हस्त शिल्प को इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने का दूसरा संकल्प है। हमारी प्राचीन शिल्प कला को इससे संरक्षण मिलेगा और इस सांस्कृतिक धरोहर को जिंदा रखने वाली बहनों का, शिल्पियों का भविष्य उज्जवल!


मिलेट फूड को बढ़ावा तीसरा संकल्प है। वैसे भी राजस्थान का बाजरा पूरे देश में प्रसिद्ध है, उम्मीद करते हैं इसें अब नियमित भोजन में शामिल किया जाएगा।


विद्यार्थियों को ग्लोबल एक्सप्लोरर बनने का अवसर दिया जा रहा है। देश का भविष्य वक्त से ही शुरुआत करें यह चौथा संकल्प है।


प्लास्टिक का न्यूनतम प्रयोग पांचवां संकल्प है। समावेशी विकास हमारा लक्ष्य है।


दिव्यांग बच्चों की कला और कुशलता को सम्मान मिले यह छठा संकल्प है। यह संकल्प किसी संवेदनशीलता की पराकाष्ठा है।


पर्यटन की हमारे यहां असीम संभावनाएं हैं। इसको बढ़ावा देने का सातवां संकल्प है।


प्रत्येक जिले के विशिष्ट उत्पादों को विशेष पहचान दिलाना आठवां संकल्प है। सबका साथ सबका विकास कोशिश है।


मित्रों, इस मोडल सरकार की कभी खिल्ली न उङाएं, सकारात्मक कार्य की प्रशंसा करते रहें और वक्त पर अपना समर्थन खुल कर करें। एक रहें - नेक रहें।


#आपणों_अग्रणी_राजस्थान

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