कैसे हो रही कांग्रेस की दुर्गति

 आप अपने आप को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष समझते हुए दैनिक राष्ट्रदूत की यह रिपोर्ट पढ़ें। आप को लगेगा कि राजस्थान की जनता कितनी पागल है जो आपको लोकसभा चुनाव में आपकी अपेक्षा से कितनी अधिक सीटें आपको दे दी। कांग्रेस में कभी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट सांसद तय किया करते थे, आज आपके गठबंधन के सांसद न सिर्फ अपने अपने क्षेत्र में अपितु सलूंबर और देवली उनियारा में आपकी हवा खराब कर रखी है। लोकसभा चुनाव में आपको जरूरत थी तो आपने तीन सीटें छोड़ दी और वे जीत भी गए पर आप उनको सम्मान नहीं दे पाए, न ही उनका दिल जीत पाए। अब इंडिया में गठबंधन है प्रदेश में प्रतिद्वंद्वी है। यह कैसा बेमेल गठबंधन हुआ? बेनीवाल और रोत ने सात में से चार सीटों पर चुनाव त्रिकोणीय कर दिया है। झुंझुनूं में गुढ़ा त्रिकोण बना चुके हैं। दौसा में बाबा की तूती बोलती है तो रामगढ़ हरियाणा का पङौसी है। ऊपर से भाजपा सत्ता में है और प्रदेश का ट्रेंड उपचुनाव में सत्ताधारी पार्टी के साथ रहने का रहा है। तो सिफर बट्टा सन्नाटा की स्थिति बनी हुई है।


अब आपके सामने तीन सवाल है। पहला ऐसी स्थिति हुई क्यों? दूसरा, यदि रिजल्ट ऐसा ही रहा तो? और तीसरा, इसके लिए जिम्मेदार कौन?


आप भी खङगे जी की तरह कुछ समझ नहीं पाएंगे, क्यूंकि आप के पास निर्णय का अधिकार नहीं है। निर्णय राहुल गांधी करते हैं। जिन आदिवासियों के सम्मान की बात राहुल गांधी करते हैं, उन आदिवासियों का सम्मान खुद राहुल गांधी नहीं करते। सम्मान तो दूर संवाद भी नहीं करते। यदि संवाद होता तो बाप सांसद अपने गठबंधन के नेता की बात जरूर मान जाते और चौरासी पर बात बैठ जाती लेकिन राहुल गांधी ने प्रयास ही नहीं किए। गांधी की कोटरी ने कहा कि बाप को भाव दिया तो इसकी महत्वाकांक्षा बढ जाएगी। तुमने भाव नहीं दिया तो भी अगले के भाव बढ़े हुए थे। अगला वहां दो बार से आपके खिलाफ जीतता आया था। आप वहां कमजोर थे तो भाजपा के खिलाफ बाप को सपोर्ट किया था। आप खुद कमजोर और दूसरा कोई वहां जङें नहीं जमा लें, यह कैसी बात? सेम यही हालात खींवसर के। आप का कैंडिडेट 2008 से डीफीट खाते आ रहे हैं, कोई टिकट लेने वाला नहीं फिर क्यों दादागिरी? और यदि फिर बेनीवाल जीत गया तो किस गड्ढे में मूंह छुपाओगे? इन दोनों क्षत्रपों ने आपका देवली उनियारा और सलूंबर का खेल और खराब कर दिया।


चलो हुआ सो हुआ पर इस फटते दूध को संभालने के लिए आपने प्रभारी क्यों नहीं लगाया? रंधावा खुद पंजाब में बीजी रहेगा आप को पता था तो फिर दूसरे को जिम्मेदारी क्यों नहीं दी! क्यों बेचारे डोटासरा को अकेले चक्रव्यूह में उलझा दिया? हाकम अली खान झुंझुनूं में आया और गुढा को सहानुभूति दिला गया। गहलोत साहब दौसा आए और कमजोर प्रत्याशी बता कर बाबा को लीड दिला गए! हार के बाद किस किस पर ठीकरा फोङोगे?  हिम्मत भी है क्या मंथन करने की? राहुल बाबा, जो आक्सीजन आपको लोकसभा चुनाव में मिली थी, खत्म हो रही है। राजस्थान में आपका खेला खत्म। सुना है झारखंड और महाराष्ट्र में भी आपकी जाति जनगणना का कार्ड फैल हो रहा है। 


कैसी जाति बाबा? देश में वैसे भी एससी, एसटी, ओबीसी और माइनोरिटी की गणना होती आई है, अब आप इन को भी बांटना चाहते हो! क्या हिम्मत है क्या कोटा में कोटा वाले कोर्ट के फैसले को लागू करने की? तुम अंबानी अडानी चिल्लाते हो और तुम्हारे मुख्यमंत्री इन से निवेश के लिए जाजमें बिछाते रहते हैं। क्यूं देश को कमजोर करने में लगे हो? सत्ता के लिए आप नक्सलवादियों, उग्रवादियों, देशद्रोहियों के साथ रहते हो। अब ट्रंप आ गया तो विदेशी फंडिंग में भी कटौती हो जाएगी तो समय की मांग को समझो और राष्ट्रवादी बनने की कोशिश करो।

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