Posts

Showing posts from November, 2024

उप चुनाव परिणाम

 मैंने अपने एक नवंबर के ब्लॉग में झुंझुनूं से कांग्रेस, खींवसर से आरएलपी व चौरासी से बाप व शेष चार सीटें भाजपा को दी थी। मेरे विश्लेषण में खींवसर, झुंझुनूं व दौसा में उलटफेर हुआ और भाजपा की एक सीट बढी। मैंने अपने ब्लॉग में नतीजों के असर पर भी कयासबाजी की थी। निस्संदेह इन चुनावों में भाजपा के लिए पाने के ही अवसर थे क्योंकि प्रदेश में उपचुनाव में सत्ताधारी दल के साथ कनेक्ट रहने का ट्रेंड रहा है। जिन दो सीटों पर हारी है उनमें दौसा ने चौंकाया है। बैरवा कोई हाई प्रोफाइल नेता नहीं है, मात्र प्रधान रहे हैं वहीं भाजपा से किरोड़ी लाल मीणा ही उम्मीदवार थे। बाबा कांग्रेस सरकार में लङाकू रहे तो अपने आप को सीएम ही मान रहे थे। पिछले काफी दिनों से इस्तीफा दिए घूम रहे थे। विपक्ष के पास यह बङा मुद्दा था। इन चुनावों में भाजपा ने बाबा का जाप्ता कर ही दिया। बाबा अब भी चूं चपड़ करते हैं तो अगले चुनाव में इनका भी डोरा तै। अब सवाल उठता है कि बाबा की हार में फेक्टर क्या रहा? क्या गुर्जर मतदाताओं ने पायलट का साथ दिया? क्या सामान्य वर्ग के मतदाता सामान्य सीट होने के बावजूद एसटी वर्ग को टिकट दिए जाने से नारा...

01 November 2024

 चुनाव की आहट होते ही हम राजनैतिक पंडितों के पेट में ज्ञान के मरोङे उठने शुरू हो जाते हैं। पहले तो टिकटों को लेकर हम कयास लगाते हैं, फिर कौन जीतेगा उस पर गणित बैठाते हैं। भले ही हमें हमारे मौहल्ला में भाव नहीं मिलता हो पर पूरे देश की गणित हमें मुंह जबानी होती है। उप चुनाव है तो विश्लेषण वाला बुखार हमें भी आया पर क्यूं किसी की दिवाली खराब करें तो आज रामा श्यामा पर हाजिर हुआ हूं। पहले तो आप सभी सुधि स्वजनों को दिपावली पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं, अभिनंदन एवं सादर यथा योग्य अभिवादन! इन चुनावों में भाजपा को खोने के लिए कुछ नहीं है। सिर्फ सलूंबर से भाजपा के विधायक के निधन से उप चुनाव है। शेष छहों सीटों में रोत व बेनीवाल सांसद बन गए। रामगढ़ से कांग्रेस विधायक के निधन से उपचुनाव है बाकी झुंझुनूं, दौसा व देवली उनियारा से जीते कांग्रेस विधायक सांसद बन गए तो उप चुनाव हो रहे हैं। राजस्थान में यह ट्रेंड रहा है कि उप चुनाव में मतदाता सत्ता के साथ रहते आए हैं तो फायदा भाजपा को मिलना तय है। सलूंबर से सहानुभूति कार्ड खेला गया है तो सलूंबर भाजपा को तय! दो जाट एमएलए एमपी बन गए तो इन दोनों पर जाट ही...

कैसे हो रही कांग्रेस की दुर्गति

 आप अपने आप को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष समझते हुए दैनिक राष्ट्रदूत की यह रिपोर्ट पढ़ें। आप को लगेगा कि राजस्थान की जनता कितनी पागल है जो आपको लोकसभा चुनाव में आपकी अपेक्षा से कितनी अधिक सीटें आपको दे दी। कांग्रेस में कभी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट सांसद तय किया करते थे, आज आपके गठबंधन के सांसद न सिर्फ अपने अपने क्षेत्र में अपितु सलूंबर और देवली उनियारा में आपकी हवा खराब कर रखी है। लोकसभा चुनाव में आपको जरूरत थी तो आपने तीन सीटें छोड़ दी और वे जीत भी गए पर आप उनको सम्मान नहीं दे पाए, न ही उनका दिल जीत पाए। अब इंडिया में गठबंधन है प्रदेश में प्रतिद्वंद्वी है। यह कैसा बेमेल गठबंधन हुआ? बेनीवाल और रोत ने सात में से चार सीटों पर चुनाव त्रिकोणीय कर दिया है। झुंझुनूं में गुढ़ा त्रिकोण बना चुके हैं। दौसा में बाबा की तूती बोलती है तो रामगढ़ हरियाणा का पङौसी है। ऊपर से भाजपा सत्ता में है और प्रदेश का ट्रेंड उपचुनाव में सत्ताधारी पार्टी के साथ रहने का रहा है। तो सिफर बट्टा सन्नाटा की स्थिति बनी हुई है। अब आपके सामने तीन सवाल है। पहला ऐसी स्थिति हुई क्यों? दूसरा, यदि रिजल्ट ऐसा ही रहा तो?...