करमा बाई पैनोरमा

 याद कीजिए कैसे गहलोत ने अपने अन्तिम बजट की ब्रांडिंग की थी! वो चुनावी साल थी लेकिन हमारे भजन लाल शर्मा जी ने तो पहले ही बजट में वाह-वाह कर दी, कसर रही तो बजट भाषण के प्रतिउत्तर में पूरी कर दी।


शर्मा जी ने हमारी मकराना तहसील के कालवा ग्राम में भक्त शिरोमणि करमा बाई जी पर पैनोरमा बनाने की घोषणा की है।


हमारे चार धामों में एक है पुरी! वहां भगवान जगन्नाथ के जो बालभोग बनता है वह रसोई करमा बाई के नाम पर है। रथयात्रा में भी करमा बाई की मूर्ति बिराजती है। जहां जहां राजस्थानी है, वहां भजन संध्याओं में 'खाले खींचङलो' जरुर गाया जाता है।


नागौर जतियों, सतियों, वीरों, कवियों और संतों- भक्तों की धरा रही है। यहां चार भक्तिमतियां हुई है - मीराबाई, करमा बाई, राना बाई और फूलांबाई। इनमें मीरा बाई और कर्मा बाई सशरीर भगवान में समाई है। एक द्वारिका पुरी में तो दूसरी जगन्नाथ पुरी में। 


एक भजन है - जग म नांव कमायो ये मीरा मेङतङी। लेकिन करमा बाई ने तो पूरे जगत में कालवा ग्राम का नाम चमकाया है। डूडी जाट परिवार की इस लाडली की यशोगाथा पूरे भारत में गाई जाती है - भक्ति हो तो करमा जैसी, श्याम खींचङो खायो है!


संतों की चर्चाओं में करमा बाई अवश्य आती है। वे भक्ति का, ईश्वर में आस्था का एक आदर्श उदाहरण है। ऐसी आदर्श भक्तिमती सति महिला के जन्म स्थान को कोरोना से पहले कोई जानता नहीं था।


सरकार ने पहल कर यहां पैनोरमा बनाने की घोषणा की है। पैनोरमा हमें करमा के जीवन, जीवन चर्या, भक्ति -साधना और पुरी जाने का पुरा इतिहास बताएगा। लाखों भक्त भक्त शिरोमणि की जीवन स्थली देखने आएंगे। कालवा की मिट्टी अब प्रसाद के तौर पर प्लास्टिक की छोटी छोटी थैलियों में पैक हो कर देश विदेश में जाएगी। यहां का बाजरा अब जिन घरों में होगा वे घर सौभाग्य शाली हो जाएंगे।


मकराना को विश्व फलक पर लाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री माननीय भजन लाल शर्मा जी का बहुत बहुत आभार, अभिनंदन एवं वंदन।


जय विष्णु, जय वैष्णव, जय जगन्नाथ!!

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