होली की शुभकामनाएं

 बसंत और ग्रीष्म ऋतु की संधि काल में आया होली का पर्व आह्लाद का, आनंद का और मस्ती का त्योहार है। 


भीतर के कुत्सित विकारों को गायन, वादन और नृतन से जब हम बाहर प्रकट करते हैं तो जीवन में रंग निखर आते हैं।


हमारी सनातन परंपरा में यह समरसता का त्योहार है। मनोवेग, मनोविकार और मानसी रोगों को शमन करने का यह अध्यात्मिक उपहार है।


सभी ईष्ट मित्रों एवं देवतुल्य मतदाताओं को इस रंग भरे बासंती पर्व की उल्लास व आनंद भरी शुभकामनाएं, अभिनंदन एवं राम राम।


त्योहार लोकतंत्र के पर्व के बीच आया है। बङी कशमकश के बाद कल रात कांग्रेस ने नागौर गठबंधन में छोङा, अभी बांसवाड़ा और होल्ड पर कर रखा है।


नागौर में जाटों के बाद राजपूत, मेघवाल, माली, मुसलमान, ब्राह्मण - बणियों का लगभग बराबर धङा। परबतसर और लाडनूं में राजपूत प्रत्याशियों की हार ने राजपूतों का रुख जाट विरोधी है। हो सकता है इस चुनाव में निर्दलीय राजपूत भी मैदान में आ जाए।


अशोक गहलोत की माली समाज में अब भी सुनी जाती है, कोई शक नहीं कि वे हनुमान के लिए इशारा जरुर करेंगे।


गठबंधन होने के कारण हाथ को देवता मानने वाले इस बार जरूर संकट में रहेंगे। हो सकता है इस वर्ग का बहुत बड़ा धङा इस बार राम मंदिर पर अपना वोट करें।


जङें कांग्रेस की होने से अच्छी संख्या में माइनोरिटी भी मोदी को सपोर्ट कर सकती है। ब्राह्मण -बणियों के लिए तो कोई रास्ता ही नहीं है, देना ही है मोदी को।


लेकिन सबसे बङे जाट वर्ग में तीन एमएलए है। चेतन डूडी और महेंद्र चौधरी को कम नहीं आंका जाता। फिर खुद हनुमान का अपना क्रेज है। कोई शक नहीं कि इस वर्ग में हनुमान लीड बनाए हुए हैं।


हमारे मकराना में अजीब समस्या है। न भाजपा में साथ बैठ सकते, न कांग्रेस में और न ही रालोपा में। बूथ स्तरीय बैठक भी हमने दो दो जगहों पर की। विधानसभा चुनाव में बंधी गांठें सुलझने का नाम नहीं ले रही।


तो आप आनंद और उल्लास से त्योहार मनाएं, समीकरण बनते रहेंगे व बिगङते रहेंगे।


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