चुनावी मुद्दे
हमारे खाते सीज किए जा रहे हैं, हमारे नेताओं पर ईडी कार्रवाई कर रही है, ये संविधान बदल देंगे, धमका कर इलेक्ट्रोल बोंड के माध्यम से चंदा ले रहे है!!
विपक्ष के ये मुद्दे हैं।
कानून का हम सम्मान करेंगे नहीं, समय पर टेक्स रिटर्न दाखिल करेंगे नहीं और विभाग कार्रवाई करेगा तो हम चिल्लाएंगे कि देखो हमारे पर कार्रवाई हो रही है। देश में कानून का राज है, तुम कानून से ऊपर थोङे ही हो। यदि गलत है तो कोर्ट है ना!
तुम सत्ता में थे तो करोङों की सम्पत्ति बनाई। लेकिन कहीं छेद रख दिए तो ईडी को मौका मिल जाता है। सब एक नंबर में रहे तो ईडी क्या करेगी, लेकिन गलतियां तुम्हारी और रोओ भी तुम ही। भुगतते रहो।
संविधान बदल देंगे। सत्ता में थे तो तुमने भी नब्बे से ऊपर संशोधन किए थे। जहां संशोधन की जरूरत है, दो तिहाई बहुमत से संशोधन करना ही चाहिए। संसद का काम ही कानून बनाना है।
जो दल सत्ता में है, उसे चंदा मिलेगा ही। राजनैतिक पार्टियों कोई कमाने थोङे ही जाती है। चंदा तो तृणमूल को भी मिला है, वीआरएस को भी मिला है। सभी को मिला है। और तरीके से दिया चंदा वैध है चाहे ईडी के डर से ही क्यूं न दिया हो।
फिर मुद्दे क्या है?
राहत और अनुदान सीधे बैंक खाते में आ रहे हैं। पंद्रह पैसे की जगह पूरा रुपया मिल रहा है। वोट पारदर्शिता को दिया जाएगा।
दस सालों में न टू जी हुआ, न कोयला न चारा और न बोफोर्स दलाली। वोट ईमानदारी को जाएगा।
अमेरिका ने भी माना कि पुतिन ने भारत की समझाइश पर परमाणु हमला टाला। आज दुनिया में भारत की साख बनी है। वोट भारत को विश्वगुरु बनने के लिए होगा।
पिछले दस सालों में फ्रांस, जर्मनी और चीन की अर्थव्यवस्थाएं दिक्कत में रही। पाक, श्रीलंका, नेपाल जैसे देश तो दिवालिया हो गए। लेकिन अपनी अर्थव्यवस्था कुलांचे मार रही है। तो वोट सबल भारत को जाएगा।
सेना की जरुरतें तक पूरी नहीं होती थी। आज देश की नेवी पाकिस्तानी जहाजों तक को समुद्री लुटेरों से बचा रही है। जरुरत सशक्त भारत की है।
और अंत में, इनको तो चार सो पार के नारे पर भी दिक्कत है कि साहब इतनी तो बिना गङबङ किए कैसे आएगी। भाई, कभी ये तो दो ही थे, तब इनसे सहानुभूति किसने जताई थी। गडकरी जी सही कह रहे हैं, जनता का विश्वास जीतो। तो मित्रों, मतदान अवश्य करें।
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