फ्री की आदत ने रूलाया
2018 से मकराना शहर में नहरी पानी की आपूर्ति शुरू हुई। उससे पूर्व डार्क जोन में होने के कारण किल्लत बनी रहती थी। 2018 में सत्ता परिवर्तन हुआ। फ्री का चलन शुरू करने वालों ने यह आभास दिलाया कि पानी भी फ्री। तो हम फोकटखाऊवों ने कभी चिंता नहीं की और विभाग ने भी कभी हमें बिल नहीं भेजा। सत्ता फिर इधर से उधर हुई और इयर एंडिंग में जलदाय विभाग ने पुराने बकाये उगाहने हेतु नोटिस जारी कर दिए। लोग भागते हुए जलदाय विभाग के मंत्री और सचिव से मिले।
समस्या वास्तव में गहरी है। प्रथम तो हम गलतफहमी में रहे कि पानी फ्री है। हमारी इस सोच को विभाग ने बिल नहीं भेज कर पुख्ता किया। फिर 2010 से 18 तक तो विभाग के पास पानी ही नहीं था तो शर्म के मारे बिल भेजते कैसे? अब गरीब कहां से लाए 10 से 50 हजार रुपए!
तमाम शंकाओं - आशंकाओं को लेकर आज हमने मुलाकात की जलदाय विभाग के नव पदस्थापित एक्सईएन मनीष वैष्णव जी से। सर ने सरकार की मंशा बताई कि भाजपा में शायद ही कुछ फ्री हो। हां, एक मुश्त बकाया जमा कराने पर ब्याज और शास्ति माफ किए जाने की स्कीम हो सकती है।
सर ने बताया कि आचार संहिता लगने वाली है ऐसे में बकाया वसूली प्रभावित हो सकती है पर आचार संहिता हटते ही हम वसूली तेज कर सकते हैं और अवैध कनेक्शन व बिना टोंटी वालों पर कार्रवाई कर सकते हैं। सर ने सुझाव दिया कि शासन स्तर पर ही छूट का निर्णय संभव है। हमने भी तय किया कि लोकसभा चुनाव के बाद 2010 से 18 तक के बिल माफी हेतु भागदौड़ करेंगे। 18 से 23 तक के बकाया हेतु किश्तों में भुगतान की सुविधा हेतु प्रयास करेंगे।
सर ने हमारे जल संरक्षण के प्रयासों की सराहना की और कहा कि हम भी अभी समझाइश कर रहे हैं पर जनता कार्रवाई की आदि है तो बीच-बीच में सख्ती भी करेंगे तो सावधान रहें और बीस रुपए वाली टोंटी जरुर लगा लें नहीं तो पेनल्टी का नोटिस आ सकता है।
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