नीतीश जी का आना
शुरुआत मिलिंद देवड़ा ने की। फिर नितीश जी पुनः एनडीए में आए और अब अठावले जी का बहन मायावती जी को आमंत्रण!!
क्या सोचा कभी आपने कि इस भक्तिमय माहौल के बावजूद भी भाजपा हिंदी बेल्ट में इतनी सीरीयस क्यों है?
दो बातें है। पहली, राम मन्दिर उद्घाटन ने कइयों की नींद उङा दी है। जिस तरह आम जनता ने इस दिन अपना इन्वोलवेशन किया वह सोचने पर मजबूर कर रहा है। ऐसे में मुरली देवड़ा जी के कट्टर कांग्रेसी घर में जन्मे मिलिंद को लगा कि उनका दल जन भावनाओं के साथ नहीं चल रहा है। आचार्य प्रमोद कृष्णन जी भी इस मुद्दे को बार-बार उठाते रहते हैं। आज कांग्रेस का मतलब भाजपा और मोदी विरोध रह गया है। एक दल का मतलब मात्र अंध विरोध ही तो नहीं!
दूसरा, भाजपा कोई कसर छोङना नहीं चाहती। इसमें कोई शक नहीं कि नीतीश और मायावती का अपने समर्थकों में बहुत सम्मान है। अति पिछड़े और महा दलित वोट की गरज भाजपा को भी है तो
येन केन प्रकारेण भाजपा अपनी चौसर बिछाने में लगी है।
तो इस बार भाजपा की रणनीति है: उसके मेंबर जहां जीत सके, खङे किए जाएं, जहां कमजोरी है वहां उसके समर्थक जीते और विरोधी भी वो जीते जो उसका सम्मान करते हैं।
अब भाजपा दक्षिण में क्या करती है, यह देखने लायक होगा। पिछली बार राजस्थान में कांग्रेस विधानसभा में अच्छी सीटों से आई पर लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर भाजपा जीती। तो क्या कर्नाटक में ऐसा संभव हो सकता है।
Comments
Post a Comment