करीब 04 लाख छात्र ढाका की सङकों पर थे। लक्ष्य था प्रधानमंत्री शेख हसीना के आवास का घेराव। बंगलादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की पुत्री पिछले 15 सालों से प्रधानमंत्री थीं। अभी 8 माह पूर्व ही शानदार जीत के साथ पुनः प्रधानमंत्री बनी थी लेकिन आरक्षण पर दो महीने पूर्व आए फैसले से छात्र भङक गए और आंदोलन पर उतर आए। बंगलादेश में 56 प्रतिशत आरक्षण था जिसे 2018 में शेख हसीना ने ही हटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया था लेकिन अब आंदोलन शायद छात्रों के हाथ से निकल गया और शेख हसीना के पद त्याग की मांग शुरू हो गई। किसी देश की सेना दुश्मन से व उग्रवादियों से तो लङ सकती है पर अपने नागरिकों से नहीं तो 05 अगस्त को जब भीङ ने प्रधानमंत्री आवास की और कूच किया तो सेना के दवाब में प्रधानमंत्री को देश छोङना पङा और दो साल पूर्व श्रीलंका की तरह की तस्वीरें सामने आई जिनमें प्रधानमंत्री आवास में आंदोलनकारी फोटो खींचा रहे हैं, खाना खा रहे हैं और आवास से लट्टू, पंखा, कुर्सियां, बतख व मछली लूट रहे हैं। श्रीलंका व बंगलादेश की दोनों घटनाओं में समानता यह रही कि दोनों आंदोलनों को किसी र...
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Showing posts from August, 2024
बदहाल हुई सफाई व्यवस्था
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2007 की बात है। बरसात के दिन थे। मकराना में बच्चों में एक वायरल बीमारी फैली जिससे तीन बच्चों की मौत हो गई। तब भी मकराना में सफाई व्यवस्था बिगड़ी हुई थी और वर्तमान डंपिंग यार्ड नहीं था। समस्या यह भी आई कि कचरे को कहां डालें। तब हमारे एक समाज ब़धु (स्वामी) ने अपना खेत उपलब्ध कराया था जहां कचरे को जमीन में गाड़ा गया। सफाई कर्मचारियों की हङताल के चलते पूरे राजस्थान में सफाई व्यवस्था गङबङाई हुई है। चूंकि सफाई कार्य एक जाति विशेष ही कर रहा है तो वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं बैठ पा रही। ऐसे में हम आम जनता का भी फ़र्ज़ बनता है कि कचरा सङक पर नहीं डालें। और आम जनता अपने इस फर्ज पर पूरी उतर भी रही है। कल भास्कर में इस समाचार के प्रकाशन के बाद मैंने अपने आवास गुणावती से माताभर फूलजी बावरी के मकान तक का नीरिक्षण किया। फूल जी बावरी के मकान से बंशी हलवाई की दुकान तक कहीं भी कचरा नहीं है। नाकौङा के शोरूम से जयशिव चौक, एलएमबी चौराहा, आरओबी, घाटी चौराहा और गुनावती तक कहीं भी कचरा डाला हुआ नहीं है। कचरा है तो सब्जी मंडी से लेकर बाजार वाली चक्की तक है। यह कचरा व्यापारियों द्वारा फैलाया हुआ है। व्...
करमा बाई पैनोरमा
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याद कीजिए कैसे गहलोत ने अपने अन्तिम बजट की ब्रांडिंग की थी! वो चुनावी साल थी लेकिन हमारे भजन लाल शर्मा जी ने तो पहले ही बजट में वाह-वाह कर दी, कसर रही तो बजट भाषण के प्रतिउत्तर में पूरी कर दी। शर्मा जी ने हमारी मकराना तहसील के कालवा ग्राम में भक्त शिरोमणि करमा बाई जी पर पैनोरमा बनाने की घोषणा की है। हमारे चार धामों में एक है पुरी! वहां भगवान जगन्नाथ के जो बालभोग बनता है वह रसोई करमा बाई के नाम पर है। रथयात्रा में भी करमा बाई की मूर्ति बिराजती है। जहां जहां राजस्थानी है, वहां भजन संध्याओं में 'खाले खींचङलो' जरुर गाया जाता है। नागौर जतियों, सतियों, वीरों, कवियों और संतों- भक्तों की धरा रही है। यहां चार भक्तिमतियां हुई है - मीराबाई, करमा बाई, राना बाई और फूलांबाई। इनमें मीरा बाई और कर्मा बाई सशरीर भगवान में समाई है। एक द्वारिका पुरी में तो दूसरी जगन्नाथ पुरी में। एक भजन है - जग म नांव कमायो ये मीरा मेङतङी। लेकिन करमा बाई ने तो पूरे जगत में कालवा ग्राम का नाम चमकाया है। डूडी जाट परिवार की इस लाडली की यशोगाथा पूरे भारत में गाई जाती है - भक्ति हो तो करमा जैसी, श्याम खींचङो खायो है...