मिशन दिल्ली फतह
किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में पंजाब में चुनाव हुए। दिल्ली की तर्ज पर पंजाब में भी फ्री की रेवङियों का पिटारा खोला गया। तो किसान, माइनोरिटी एवं दलित वोट आप को मिले और पंजाब में आप की सरकार बनी। चूंकि हरियाणा भी दिल्ली और पंजाब से जुङा हुआ और यहां भी किसान तो आप ने यहां भी सत्ता के लिए सपना पाला। हरियाणा में दो टर्म से लगातार भाजपा थी जिससे एंटी इंकम्बेक्सी थी तो कांग्रेस को पूरा यकीन था कि वह हरियाणा में वापसी कर सकती है और युवराज के खाते में एक उपलब्धि दिखा सकती है पर घाघ केजरीवाल ने सारे पर पानी फेर दिया। पंजाब जीत से केजरीवाल उत्साहित था तो लोकसभा में अच्छे प्रदर्शन से कांग्रेस। दरअसल लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन का सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को मिला ऐसे में दिल्ली आंदोलनों का लाभ केजरीवाल कांग्रेस को देना नहीं चाहते थे और नूरा कुश्ती में हरियाणा में भाजपा तीसरी बार काबिज हो गई। हरियाणा की वापसी ने मूल ओबीसी की बांछे खिला दी। पूरे देश का मूल ओबीसी आज भाजपा के पक्ष में खङा है। हरियाणा हार ने कांग्रेस को बहुत गम दिए। शाहजादे की पैदल यात्रा का जादू उतर गया। झारखंड में जीत नही...